Ganesh Pujan: हिंदू धर्म में किसी भी शुभ या मांगलिक कार्य की शुरुआत से पहले भगवान गणेश जी (Bhagwan Ganesh) की विधि-विधान से पूजा की जाती है. सुखकर्ता-दुखहर्ता भगवान गणेश (Lord Ganesha) को सभी देवताओं में प्रथम पूज्य माना जाता है, इसलिए सभी देवी-देवताओं की पूजा से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है. शुभ या मांगलिक कार्यों से पहले भगवान गणेश की पूजा करने के इस रिवाज को अधिकांश लोग जानते हैं, लेकिन यह बात बहुत कम लोगों को ही पता है कि आखिर सभी देवताओं में गणपति जी (Ganpati) की पूजा सबसे पहले क्यों की जाती है? दरअसल, हिंदू धर्म के ग्रंथों में भगवान गणेश के प्रथम पूज्य होने के अलग-अलग कारण बताए गए हैं.
भगवान शिव और माता पार्वती के लाड़ले पुत्र गणेश बुद्धि के देवता माने जाते हैं. वास्तविकता में हर व्यक्ति को अपने जीवन में किसी कार्य के शुभारंभ से पहले बेहतर योजना, दूरदर्शिता और कुशल नेतृत्व की आवश्यकता होती है, ऐसे में कहा जाता है गणेश जी के पूजन से व्यक्ति को सही फैसले लेने में मदद मिलती है.
विघ्नहर्ता होने की वजह से गणेश जी हैं प्रथम पूज्य
लिंग पुराण के अनुसार, कहा जाता है कि एक समय देवताओं ने राक्षसों के दुष्टकर्मों में विघ्न पैदा करने के लिए भगवान शिव से वर मांगा, जिसके पश्चात समय आने पर भगवान शिव के वरदान स्वरूप गणेश जी प्रकट हुए. देवताओं ने मिलकर भगवान गणेश की पूजा की और तब भोलेनाथ ने गणेश जी को दैत्यों के कामों में विघ्न उत्पन्न करने का आदेश दिया, इसलिए हर मांगलिक कार्य और पूजा-पाठ के दौरान नकारात्मक शक्तियों या विघ्नों को दूर करने के लिए सबसे पहले विघ्नहर्ता गणेश की पूजा की जाती है.
सभी गणों के स्वामी होने की वजह से प्रथम पूज्य
महर्षि पाणिनि के अनुसार, दिशाओं यानी अष्टवसुओं के समूह को गण कहा जाता है और भगवान गणेश सभी गणों के स्वामी हैं, इसलिए उन्हें गणपति कहा जाता है. भगवान गणेश यानी गणों के स्वामी की पूजा के बिना मांगलिक कार्यों में किसी भी दिशा से किसी भी देवी-देवता का आगमन नहीं होता है, इसलिए हर मांगलिक कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा का विधान है.
भगवान शिव ने दिया प्रथम पूज्य होने का वरदान
शिव महापुराण की कथा के अनुसार, भगवान शिव और गणेश जी के बीच हुए युद्ध के दौरान जब महादेव ने उनका शीश काट दिया था, तब देवी पार्वती के कहने पर शिवजी ने गणेश जी के शरीर पर हाथी का सिर जोड़ दिया था. इसके बाद जब माता पार्वती ने कहा कि इस रूप में उनके पुत्र की पूजा कौन करेगा, तब भगवान शिव ने वरदान दिया था कि सभी देवी-देवताओं की पूजा और मांगलिक कार्यों के शुभारंभ से पहले गणेश जी की पूजा की जाएगी.
इसके अलावा इससे जुड़ी एक अन्य प्रचलित कथा के अनुसार, एक बार समस्त देवताओं में विवाद उत्पन्न हुआ कि किस देवता की पूजा सबसे पहले की जानी चाहिए? इस प्रश्न को लेकर जब सभी देवता भगवान शिव की शरण में पहुंचे, तब शिवजी ने एक प्रतियोगिता आयोजित की. इस प्रतियोगिता में शामिल होने वाले सभी देवताओं से अपने-अपने वाहन पर सवार होकर ब्रह्मांड के चक्कर लगाने के लिए कहा गया. शिवजी ने कहा कि जो इस ब्रह्मांड की परिक्रमा करके सबसे पहले उनके पास पहुंचेगा, उसे ही प्रथम पूज्य घोषित किया जाएगा.
भगवान शिव के कहे अनुसार, सभी देवता अपने-अपने वाहन पर सवार होकर ब्रह्मांड की परिक्रमा करने के लिए निकल पड़े. इस प्रतियोगिता में गणेश जी भी शामिल थे, लेकिन बाकी देवताओं की तरह पूरे ब्रह्मांड के चक्कर लगाने के बजाए गणेश जी अपने पिता शिव और माता पार्वती की सात परिक्रमा पूर्ण कर उनके सामने हाथ जोड़कर खड़े हो गए. जब सभी देवता लौटकर आए तब भगवान शिव ने गणेश जी को प्रतियोगिता में विजयी घोषित कर दिया. इसका कारण पूछे जाने पर भोलेनाथ ने कहा कि माता-पिता को समस्त ब्रह्मांड और समस्त लोकों में सर्वोच्च स्थान दिया गया है, इसलिए उनकी परिक्रमा करना समस्त ब्रह्माण की परिक्रमा करने समान है.
मान्यता है कि भगवान शिव की इस बात से सभी देवता सहमत हुए और तभी से गणेश जी सभी देवताओं में प्रथम पूज्य बन गए. गणेश जी अपनी तेज बुद्धि का सही प्रयोग करने के चलते प्रथम पूज्य बन गए, इसलिए हर शुभ या मांगलिक कार्य से पहले भगवान गणेश की उपासना को शुभ माना जाता है. गणेश जी की पूजा से कार्यों में आने वाले सभी प्रकार के विघ्न दूर होते हैं और जीवन में खुशहाली आती है.
डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई तमाम जानकारियां प्रचलित धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसलिए इसकी वास्तविकता, सटीकता की ‘अनादि लाइफ’ पुष्टि नहीं करता है. इसे लेकर हर किसी की राय और सोच में भिन्नता हो सकती है.