Vastu Shastra and Feng Shui: भारतीय वास्तु शास्त्र से कितना अलग है चीनी फेंगशुई, जानें दोनों के बीच का अंतर

Vastu Shastra and Feng Shui: भारतीय वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) में घर की सजावट, बनावट, दिशा और कोणों का विशेष महत्व बताया जाता है, अगर इनका ख्याल नहीं रखा गया तो भवन में वास्तु दोष उत्पन्न होता है. यही वजह है कि अधिकांश लोग घर बनवाते या खरीदते समय वास्तु का खास तौर पर ख्याल रखते हैं. वहीं चीनी वास्तु शास्त्र फेंगशुई (Feng Shui) काफी प्रचलित है, जो पूरे ब्रह्मांड और पर्यावरण के बीच ऊर्जा के संतुलन से संबंधित है. एक तरफ जहां वास्तु का मतलब वस्तु से है, जबकि शास्त्र का अर्थ ज्ञान से है. वहीं दूसरी तरफ फेंगशुई का शाब्दिक अर्थ है हवा, सुई और पानी. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर भारतीय वास्तु शास्त्र और चीनी फेंगशुई में कितना अंतर है? आइए विस्तार से इस बारे में जानते हैं.

वास्तु शास्त्र

भारतीय वास्तुशास्त्र को भवन निर्माण का विज्ञान माना जाता है, जिसका उपयोग भवन निर्माण के लिए सदियों से किया जा रहा है. इसमें घर के कमरों से लेकर किचन, वॉशरूम, पूजा रूम, लिविंग रूम इत्यादि के लिए अलग-अलग दिशाएं और कोण बताए गए हैं. वास्तु शास्त्र पूरे घर की बनावट और प्रकृति के बीच संतुलन स्थापित करने में मदद करता है, ताकि घर में संपन्नता और खुशहाली हमेशा बनी रहे.

चीनी फेंगशुई

चीन की धार्मिक किताब टायो पर आधारित ज्ञान को फेंगशुई कहते हैं, जिसमें कई चीनी दार्शनिकों ने इस बात का जिक्र किया है कि किस तरह से ऊर्जा का प्रभाव जीवन में सकारात्मक और नकारात्मक होता है. इसके साथ ही प्राकृतिक शक्तियां किस तरह से जीवन को प्रभावित करती हैं. चीन में इस प्राकृतिक शक्ति को ‘ची’ कहा जाता है. चीनी विद्वान ची को ‘यिन’ और ‘यांग’ ऊर्जा के साथ जोड़कर देखते हैं. फेंगशुई में इस बात का उल्लेख है कि पूरे संसार का संचालन यिन और यांग नाम की दो ऊर्जाओं द्वारा होता है. इन दोनों ऊर्जाओं के मिलने पर जिस एनर्जी का फ्लो होता है, उसे ‘ची’ कहा जाता है.

वास्तु शास्त्र और फेंगशुई में अंतर

भारतीय वास्तु शास्त्र में आग्नेय कोण (दक्षिण और पूर्व के मध्य का स्थान) में जल से संबंधित कोई भी वस्तु रखना वर्जित है, क्योंकि इसे भारी दोष माना जाता है. दरअसल, वास्तु शास्त्र में आग्नेय कोण में किचन बनाना या अग्नि से संबंधित कार्यों को करना शुभ माना जाता है. वहीं चीन में आग्नेय कोण में पानी रखना, फव्वारा लगाना, मछली रखना या पौधे रखना काफी शुभ माना जाता है.

भारतीय वास्तु शास्त्र में जहां भवन निर्माण के लिए सफेद और पीली मिट्टी के उपयोग को उचित माना गया है तो वहीं फेंगशुई में भवन निर्माण के लिए पीली और लाल मिट्टी के इस्तेमाल को बेहतर बताया गया है.

डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई तमाम जानकारियां प्रचलित धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसलिए इसकी वास्तविकता, सटीकता की ‘अनादि लाइफ’ पुष्टि नहीं करता है. इसे लेकर हर किसी की राय और सोच में भिन्नता हो सकती है.