12 Jyotirlingas of Lord Shiva: भगवान शिव (Bhagwan Shiv) को सभी देवों में श्रेष्ठ माना जाता है, इसलिए उन्हें महादेव (Mahadev) कहा जाता है. त्रिदेवों में भगवान ब्रह्मा को सृष्टि के रचयिता, भगवान विष्णु को सृष्टि के पालनहार और भगवान शिव को सृष्टि के संहारक के तौर पर जाना जाता है. महादेव ही एकमात्र ऐसे देव हैं, जिनकी पूजा लिंग के स्वरूप में की जाती है. शिव महापुराण के अनुसार, भारत और नेपाल में कुल 64 मूल ज्योतिर्लिंग मंदिर हैं, जिनमें से 12 ज्योतिर्लिंगों को महा ज्योतिर्लिंग (Maha Jyotirlinga) के तौर पर जाना जाता है. धार्मिंक मान्यताओं के अनुसार, देश के अलग-अलग स्थानों पर स्थित इन 12 ज्योतिर्लिंगों में भगवान शिव ज्योति रूप में स्वंय विराजमान हैं. अगर आप भगवान शिव के इन महान ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करना चाहते हैं तो हम आपको इस लेख के ज़रिए बताने जा रहे हैं भोलेनाथ के 12 ज्योतिर्लिंगों के नाम और उनके स्थान…
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, गुजरात

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग को धरती का सबसे पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है, जो गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित है. द्वादश ज्योतिर्लिंग तीर्थयात्रा सोमनाथ मंदिर से ही शुरु होती है. इस मंदिर को मुस्लिम आक्रमणकारियों द्वारा 16 बार नष्ट करने की कोशिश की गई, लेकिन वो हर बार नाकाम रहे. यहां पर देवताओं द्वारा बनाया गया एक पवित्र कुंड भी है, जिसे ‘सोमकुंड’ या पापनाशक तीर्थ के तौर पर जाना जाता है. यह भी पढ़ें: Shivling: शिवलिंग क्या है? जानें भगवान शिव के इस प्रतीक का वास्तविक अर्थ और आकार का रहस्य
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, आंध्र प्रदेश

बारह ज्योतिर्लिंगों में मल्लिकार्जुन को ‘श्रीशैल’ भी कहा जाता है, जो आंध्र प्रदेश के रायलसीमा में कुरनूल जिले के एक पर्वत पर स्थित है. प्राचीन वास्तुशिल्प और मूर्तिकला से समृद्ध यह मंदिर एक ऐसा स्थान है, जहां शक्तिपीठ और ज्योतिर्लिंग दोनों के दर्शन भक्त एक साथ प्राप्त कर सकते हैं.
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग स्वयं महाकाल का घर है. स्वयंभू ज्योतिर्लिंग होने के साथ ही यह एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है. यहां होने वाली भस्म आरती विश्व भर में प्रसिद्ध है. महाकाल ज्योतिर्लिंग के करीब ही मां हरसिद्धि का मंदिर है जो माता सती के 52 शक्तिपीठों में से एक है.
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में भगवान शिव का चौथा ज्योतिर्लिंग ‘ओंकारेश्वर धाम’ स्थित है. इंदौर शहर के पास जिस स्थान पर यह ज्योतिर्लिंग स्थित है, उस स्थान पर नर्मदा नदी बहती है और इस पहाड़ी के चारों ओर नदी बहने से यह क्षेत्र ‘ओम्’ जैसे आकार का दिखाई देता है. यह भी पढ़ें: Panch Kedar: भगवान शिव के पांच महत्वपूर्ण धाम हैं पंच केदार, जानें उत्तराखंड के गढ़वाल में स्थित इन मंदिरों की महिमा
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग, उत्तराखंड

देवभूमि उत्तराखंड में स्थित भगवान शिव का यह धाम एकमात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है जो कैलाश पर्वत के निकट है. हिमालय पर्वत की केदार नामक चोटी पर स्थित केदारनाथ ज्योतिर्लिंग धाम एक प्राचीन तीर्थस्थल है, जो पौराणिक कथाओं और परंपरा से समृद्ध है. बद्रीनाथ के मार्ग पर स्थित केदारनाथ ज्योतिर्लिंग समुद्र तल से 3584 मीटर की ऊंचाई पर मौजूद है.
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र

महाराष्ट्र के पुणे जिले में सह्याद्रि नामक पर्वत पर स्थित भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग किसी स्वर्ग से कम नहीं है. शहरी जीवन के कोलाहल के दूर, बादलों से झांकते हुए भीमाशंकर को तीर्थयात्रियों का स्वर्ग कहा जा सकता है. पर्वत पर स्थित यह ज्योतिर्लिंग घने जंगल, कई प्रकार की दुर्लभ वनस्पतियों और जीव-जंतुओं का निवास स्थान है.
विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग, उत्तर प्रदेश

भोलेनाथ की नगर काशी (वाराणसी) में स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर को ‘विश्वेश्वर’ भी कहा जाता है. वाराणसी भगवान शिव के सबसे प्रिय स्थानों में से एक है. यहां पर पतितपावनी गंगा नदी बहती है और यह मंदिर गंगा नदी के पश्चिम तट पर स्थित है. यहां पर शक्तिपीठ और ज्योतिर्लिंग एक साथ हैं.
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र

महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित त्र्यंबकेश्वर मंदिर ब्रह्मगिरी पर्वत के पास स्थित है. गोदावरी नदी की उत्पत्ति त्र्यंबक से होती है. मंदिर परिसर के अंदर एक कुसावर्त कुंड है, जो एक पवित्र तालाब है. यहां दर्शन करने के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं.
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, झारखंड

झारखंड के देवघर में स्थित वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग को ‘बाबा बैद्यनाथ धाम’ के नाम से भी जाना जाता है. धार्मिक पुराणों में शिव के इस पावन धाम को चिताभूमि कहा गया है. मख्य मंदिर के अलावा मंदिर परिसर के आसपास 21 अन्य मंदिर भी हैं.
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, गुजरात

गुजरात के द्वारका में स्थित नागेश्वर ज्योतिर्लिंग शिव पुराण में वर्णित 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. धार्मिक पुराणों में भगवान शिव को नागों का देवता बताया गया है और नागेश्वर का अर्थ ‘नागों का ईश्वर’ होता है. द्वारका पुरी से नागेश्वर ज्योतिर्लिंग करीब 17 मील दूर है.
रामेश्वरम् ज्योतिर्लिंग, तमिलनाडु

भगवान शिव का ग्यारहवां ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु के रामेश्वरम में स्थित है. रामेश्वर तीर्थ को ही ‘सेतुबंध तीर्थ’ भी कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि रामायण काल में इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना स्वयं भगवान श्रीराम ने की थी, इसलिए इस ज्योतिर्लिंग को रामेश्वरम के नाम से जाना जाता है. यह भी पढ़ें: Origion of Shivling: इस तरह से हुई थी शिवलिंग की उत्पत्ति, इसलिए लिंग के रूप में होती है भगवान शिव की पूजा
घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र

महाराष्ट्र के दौलताबाद से करीब 18 किलोमीटर दूर बेरूलठ गांव के पास स्थित घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे आखिरी ज्योतिर्लिंग है. इस ज्योतिर्लिंग के समीप एक सरोवर स्थित है, जिसे शिवालय के नाम से जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस ज्योतिर्लिंग के साथ जो भी इस सरोवर के दर्शन करता है, उसकी सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है.